IPC Section 87 in Hindi | आईपीसी धारा 87 क्या है – धारा 87 का विवरण

IPC Section 87 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है ipc-section.com के इस नए पोस्ट में आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं भारतीय दण्ड संहिता के धारा 87 के बारे में यहाँ हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 87 क्या है? Section 87 of IPC in Hindi, धारा 87 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 87, IPC Section 87 Explained in Hindi, धारा 87 का विवरण आदि के बारे में तो आइये बिना देरी के आज के इस पोस्ट कि शुरुवात करते हैं.

IPC Section 87 in Hindi
IPC Section 87 in Hindi

IPC Section 87 in Hindi | आईपीसी धारा 87 क्या है

IPC Section 87 Explained in Hindi: IPC Section 87 जो की बात करता है सहमती से किये गए काम कि, सम्मति से किया गया एक ऐसा काम जिसमे किसी को ये नहीं पता होता की उस काम को करने ऐसी किसी की मौत हो सकती है या फिर उससे कोई भारी नुकसान हो सकता है। न ही इसके बारे में कोई नॉलेज होती है। इसके बारे में IPC Section 87 में डिटेल ऐसी बताया गया है।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 87 में साफ़ तौर पर बताया गया है। सहमति लेने के बाद किए गए काम को करते हुए अगर कोई दुर्घटना हो जाती है, कोई भारी नुकसान हो जाता है। मृत्यु हो जाती है तो IPC के सेक्शन 87 के तहत उसे अपराध नहीं माना जाता सीधे तौर पर IPC के सेक्शन 87 के अंतर्गत ये माना जाता है। इस सिद्धांत का पालन किया जाता है की जो व्यक्ति सहमति देता है उसे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचता।

क्यूँकी सैद्धांतिक रूप ऐसी देखा जाए तो जो अपराध होता है वो पूरे समाज के लिए हानिकारक होना चाहिए लेकिन यहाँ पर जो काम हो रहा है एक दुसरे की सहमति ऐसी हो रहा है और करने वाले की ऐसी कोई इंटेंशन भी नहीं है की वो दुसरे व्यक्ति को कोई नुकसान पहुँचा दे। इंडियन पीनल कोड में सहमति को सेक्शन 90 में डिफाइन किया जाता है।

सहमति का अर्थ है की अपनी इच्छा से किसी को इजाजत देना या उसकी बात ऐसी एग्री होना। कंसेंट को उस टाइम फ्री कंसेंट मान लिया जाता है जब इसे किसी भी तरह के धोखा, बल या धमकी के द्वारा प्राप्त नहीं किया जाता। एक अठारह साल का व्यक्ति जो की बालिग माना जाता है। अपना फ्री कंसेंट अपने लाभ के लिए किसी भी काम को करने के लिए अपना फ्री कंसेंट दे सकता है।

भारतीय दण्ड संहिता के धारा 87 में बचाव के लिए कुछ बातों का होना जरुरी है। अगर कोई काम हुआ है जो की मौत या भारी नुकसान को करने के लिए नहीं किया गया था न ही उसके बारे में करने वाले को पता था तो उस व्यक्ति को IPC के सेक्शन 87 में बचाव मिलता है।

दूसरा पॉइंट ये है की जो नुकसान हुआ है किसी व्यक्ति को उसकी सहमति से मिला होना चाहिए यानि की उस काम की सहमति जिससे कि उस व्यक्ति को नुकसान पहुँचा है। उसकी सहमति उस व्यक्ति ने खुद दी हो।

तीसरा पॉइंट ये की सहमति देने वाला व्यक्ति अठारह साल का हो या उससे ज्यादा का होना चाहिए उससे कम का नहीं होना चाहिए।

चौथा पॉइंट ये की कंसेंट जो है वो फ्री होना चाहिए उसमे किसी तरह की धमकी दबाव इत्यादि नहीं होना चाहिए। तो इस तरह ऐसी दोस्तों जो सहमति द्वारा बचाव है वो दो अवधारणाओं पर आधारित होता है पहला तो ये की हर एक व्यक्ति को अपने बारे में अपना अच्छा सोचने के बारे में सबसे ज्यादा पता होता है। दूसरा ये की जिस काम ऐसी किसी व्यक्ति को कोई हानि पहुँच सकती है, उसकी मौत हो सकती है, भारी नुकसान हो सकता है, उस की सहमति वो कभी नहीं देगा। तो दोस्तों ये था IPC का Section 87

धारा 87 का विवरण – What is IPC Section 87

धारा 87 का विवरण

सम्मति से किया गया कार्य जिससे मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी संभाव्यता का ज्ञान हो

भारतीय दंड संहिता की धारा 87 के अनुसार, “कोई बात, जो मृत्यु या घोर उपहति कारित करने के आशय से न की गई हो और जिसके बारे में कर्ता को यह ज्ञात न हो कि उससे मृत्यु या घोर उपहति कारित होना संभाव्य है, किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है

जो उस बात से अठारह वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को, जिसने वह अपहानि सहन करने की चाहे अभिव्यक्त, चाहे विवक्षित सम्मति दे दी हो, कारित हो या कारित होना कर्ता द्वारा आशयित हो अथवा जिसके बारे में कर्ता को ज्ञात हो कि वह उपर्युक्त जैसे किसी व्यक्ति को, जिसने उस अपहानि की जोखिम उठाने की सम्मति दे दी है, उस बात द्वारा कारित होनी संभाव्य है ।“

दृष्टांत

क और य आमोदार्थ आपस में पटेबाजी करने को सहमत होते हैं | इस सहमति में किसी अपहानि को, जो ऐसी पटेबाजी में खेल के नियम के विरुद्ध न होते हुए कारित हो, उठाने की हर एक को सम्मति विवक्षित है, और यदि क यथानियम पटेबाजी करते हुए य को उपहति कारित कर देता है, तो क कोई अपराध नहीं करता है।

IPC Section 87 Definition

According to Section 87 – “Act not intended and not known to be likely to cause death or grievous hurt, done by consent ”–

“Nothing which is not intended to cause death, or grievous hurt, and which is not known by the doer to be likely to cause death or grievous hurt, is an offence by reason of any harm which it may cause, or be intended by the doer to cause, to any person, above eighteen years of age, who has given consent, whether express or implied, to suffer that harm; or by reason of any harm which it may be known by the doer to be likely to cause to any such person who has consented to take the risk of that harm.”

Illustration

A and Z agrees to fence with each other for amusement. This agreement implies the consent of each to suffer any harm which, in the course of such fencing, may be caused without foul play; and if A, while playing fairly, hurts Z, A commits no offence.

Conclusion

तो दोस्तों आशा करता हूँ की आप आईपीसी धारा 87 क्या है?, IPC Section 87 in Hindi को अच्छे से समझ गए होंगे यदि ये पोस्ट पसंद आया हो और वीडियो इंफॉर्मेशन अच्छा लगा है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिल्कुल मत भूलिएगा। अगले पोस्ट में हम बात करेंगे IPC Section 88 के बारे में धन्यवाद.

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