IPC Section 82 and 83 in Hindi | आईपीसी धारा 82 और 83 क्या है

IPC Section 82 and 83 in Hindi – नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम भारतीय दण्ड संहिता कि धारा 82 और 83 के बारे में जानेंगे कि आईपीसी धारा 82 और 83 क्या है? IPC Section 82 & 83 in Hindi आदि के बारे में तो आइये शुरू करते हैं आज का यह लेख.

IPC Section 82 and 83 in Hindi
IPC Section 82 and 83 in Hindi

IPC Section 82 and 83 in Hindi | आईपीसी धारा 82 और 83 क्या है

IPC Section 82 में बताया गया है कि कितने साल के बच्चे को क्राइम करने पर सजा नहीं मिलती ये तो हम सभी जानते हैं कि जो बच्चा होता है कम उम्र के कारण उसमें समझ की कमी होती है। यानी कि वो अपने द्वारा किए गए कामों के नेचर के बारे में उनको जॅज नहीं कर पाता कि वो क्या कर रहा है? जबकि कामन लॉकर कॉन्सेप्ट ये कहता है कि कोई भी क्राइम होने के लिए क्रिमिनल इंटेन्शन का होना बहुत जरूरी है।

यही रीज़न है कि किसी बच्चे को क्रिमिनल लायबिलिटी से दूर रखा जाता है। इसके लिए हमारे भारतीय दण्ड संहिता के सेक्शन 82 और 83 में भी प्रावधान किए गए हैं। 1682 की बात करें तो ये पूरी तरह से किसी बच्चे को अपराध से बरी कर देता है, लेकिन सेक्शन 83 ये कहता है कि अगर किसी बच्चे से कुछ क्राइम होते भी है तो वहाँ पर कुछ शर्तें लगाई जाती हैं तो उन शर्तों के साथ किसी बच्चे को सजा से बरी भी किया जा सकता है या फिर उसे सजा भी दी जा सकती है।

आई पी सी का सेक्शन 82 कहता है कि कोई भी बात अपराध नहीं होगी। अगर वो 7 साल से कम उम्र के बच्चे के द्वारा किया गया हो तो 7 साल से कम एज का जो बच्चा होता है वो अपने काम के लिए रेस्पोंसिबल नहीं होता। उसे कानून की नजरों में अपरिपक्व माना जाता है। यानी कि वो अपने कामों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अगर किसी अपराध में 7 साल से कम एज का बच्चा है और किसी भी तरह का उस पर गंभीर आरोप लगाया जाता है तो उसके बचाव के लिए यहाँ इतना ही काफी होगा कि उसकी उम्र 7 साल से कम है।

लेकिन जिन मामलों में बच्चे की उम्र 7 साल से ज्यादा हुई तो वहाँ पर कानून उनके ऊपर कुछ कंडीशन लगा देता है।क्योंकि कानून का ऐसा माना है कि बेनिफिट ऑफ़ डाउट हमेशा आरोपी व्यक्ति को दिया जाना चाहिए। तो हमारी इंडिया का कानून कहता है कि जो 7 साल या फिर उसे कम एज के बच्चे होंगे, उनके द्वारा जो भी क्राइम किया जाएगा, उसे माफ़ कर दिया जाएगा। क्योंकि हमारा कानून किसी भी व्यक्ति को 7 साल तक बच्चा मानता है और उसके कामों के लिए उसे सजा नहीं देता। लेकिन अलग अलग देशों में ये उम्र अलग अलग रखी गई है।

जैसे कि फ्रांस फ्रांस में जो उम्र है बच्चे की वो 13 साल रखी गई है।इंग्लैंड में ये उम्र 8 साल है। नॉर्वे, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में ये उमर 14 साल रखी गई है, लेकिन भारत में ये उम्र 7 साल या उससे कम रखी गई है।

धारा 82 का विवरण – What is IPC Section 82

धारा 82 का विवरण

सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य

भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अनुसार, कोई बात अपराध नहीं है, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है .

IPC Section 82 Definition

According to Section 82 – “Act of a child under seven years of age ”–

“Nothing is an offence which is done by a child under seven years of age.”

IPC Section 83 in Hindi

तो जब बात आती है सेक्शन 83 का बेनिफिट कहाँ दिया जाएगा तो ये सेक्शन ये प्रावधान करता है कि कोई भी ऐसी बात अपराध नहीं होगी जो कि 7 साल से ऊपर और 12 साल से कम एज के बच्चे के द्वारा किया जाएगा। लेकिन वहाँ पर कंडीशन ये है कि उस बच्चे में समझ की कमी होनी चाहिए। यानी कि वो जिस एज का बच्चा है। मान लीजिए अगर वो 12 साल की उम्र का बच्चा है और उसने कोई क्राइम कर दिया है तो वहाँ पर ये देखा जाएगा कि उसकी जो सोचने समझने की शक्ति है, उसकी जो बुद्धि है वो कितनी डेवलॅप हुई है?

कहीं उसकी जो समझ है 7 साल के बच्चे वाली तो नहीं है।यहाँ पर ये देखा जाएगा कि क्या वो बच्चा ये समझ सकता था कि उसने क्या किया है और उसके करने का क्या अंजाम हो सकता था? तो वहाँ पर ये सारी चीजें देखी जाएंगी। उसके बाद ही ये डिसाइड किया जाएगा कि उस बच्चे को सजा दी जानी चाहिए या फिर नहीं दी जानी चाहिए। तो इस तरह से जो सेक्शन 82 है वहाँ पर ये देखने की जरूरत ही नहीं पड़ती कि बच्चे का दिमाग कितना डेवलप हुआ है।

वहाँ पर उसे बच्चा ही मान लिया जाता है और छोड़ दिया जाता है।लेकिन जब बच्चे की उम्र सात से 12 साल के बीच में होती है तो वहाँ पर ये देखना जरूरी हो जाता है कि बच्चे का मेन्टल ग्रोथ कितना हुआ है।

धारा 83 का विवरण – What is IPC Section 83

धारा 83 का विवरण

सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य

भारतीय दंड संहिता की धारा 83 के अनुसार, कोई बात अपराध नहीं है, जो सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के ऐसे शिशु द्वारा की जाती है जिसकी समझ इतनी परिपक्व नहीं हुई है कि वह उस अवसर पर अपने आचरण की प्रकृति और परिणामों का निर्णय कर सके |

IPC Section 83 Definition

According to Section 83 – “Act of a child above seven and under twelve of immature understanding ”

“Nothing is an offence which is done by a child above seven years of age and under twelve, who has not attained sufficient maturity of understanding to judge of the nature and consequences of his conduct on that occasion.”

IPC Section 82 and 83 in Hindi | आईपीसी धारा 82 और 83 क्या है

Conclusion

तो दोस्तों मैं आशा करता हूँ IPC Section 82 and 83 in Hindi | आईपीसी धारा 81 और 83 क्या है आपको अच्छे से समझ आ गया होगा यदि आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल हैं तो कमेन्ट के जरिये हमसे पूछ सकते हैं अगले पोस्ट में हम बात करेंगे IPC Section 84 के बारे में तो बने रहिये ipc-section.com पोर्टल के साथ धन्यवाद.

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