IPC Section 57 in Hindi | आईपीसी धारा 57 क्या है – धारा 57 का विवरण

IPC Section 57 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है ipc-section.com के इस नए पोस्ट पर आज के इस पोस्ट में हम इंभारतीय दण्ड संहिता के धारा 57 के बारे में बात करेंगे यहाँ हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 57 क्या है? Section 57 of IPC in Hindi, धारा 57 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 57, IPC Section 57 Explained in Hindi, धारा 57 का विवरण आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह लेख.

IPC Section 57 in Hindi
IPC Section 57 in Hindi

IPC Section 57 in Hindi | आईपीसी धारा 57 क्या है

IPC Section 57 में पनिशमेंट यानि सजा की Fractions of terms of punishment अर्थात दण्डावधियों की भिन्नें से जिसमें कहा गया है कि जो लाइफ इंप्रिजनमेंट यानी कि आजीवन कारावास होती है उसे 20 साल के कारावास के बराबर गिना जाएगा लेकिन इसका मतलब क्या है यह अलग-अलग मामलों में कैसे यूज़ किया जाएगा इसके बारे में डिटेल में जानते हैं

IPC Section 57 Explained in Hindi

इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 37 में कहा गया है कि अजीवन कारावास यानी कि life imprisonment की सजा को 20 साल की सजा के बराबर समझा जाएगा फॉर एग्जांपल अगर किसी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है तो वह अपनी सजा का आधा टाइम पूरा करने के बाद छूट पाने का हकदार हो जाता है यानी कि 10 साल की सजा काट लेने के बाद वह छूट के लिए आवेदन कर सकता है

इसी तरह से अगर किसी व्यक्ति को डबल आजीवन कारावास हुई यानी कि दो बार आजीवन कारावास गई है तो अगर वह व्यक्ति जेल में 13 साल 4 महीने का समय सजा के तौर पर बिता लेता है यानी कि 40 साल का एक तिहाई जब हो जाता है तो वह सजा में छूट पाने का आवेदन कर सकता है

लाइफ कन्विक्ट वर्सेस पी के श्री वास्तवा और अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि life imprisonment मतलब पूरी जिंदगी की सजा होती है ना कि 20 साल की सजा ऐसा आईपीसी के सेक्शन 57 में भी नहीं कहा गया है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी के छूट का मामला एप्रोप्रिएट गवर्नमेंट यानि समुचित सरकार के द्वारा अधिकार की बात नहीं होती है बल्कि यह अपराधी द्वारा फरियाद करने के बाद दया दिखाने का मामला होता है यानी कि मोटे तौर पर समझा जाए तो गवर्नमेंट का यह अधिकार नहीं है कि वह हर अपराधी के आजीवन कारावास को 20 साल की सजा में बदल दें बल्कि गवर्नमेंट को ऐसी पावर जरूर दी गई है कि अगर अपराधी अपना एक तिहाई सजा को पूरा कर लेता है और फरियाद करता है

कि उसकी सजा में छूट दे दी जाए तो यह गवर्नमेंट की दया दिखाने का मामला होता है है वह चाहे तो उसकी सजा को कम कर सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में यह भी साफ़ किया कि आईपीसी सेक्शन 57 सिर्फ सजा की शर्तों की गणना करने के लिए लागू होती है, यह धारा आजीवन कारावास की अवधि निर्धारित करने के लिए नहीं लगाई जा सकती

धारा 57 का विवरण – What is IPC Section 57

धारा 57 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 57 के अनुसार, दण्डावधियों की भिन्नों की गणना करने में, आजीवन 4[कारावास] को बीस वर्ष के 4[कारावास] के तुल्य गिना जाएगा

IPC Section 57 Definition

According to Section 57 – “In calculating fractions of terms of punishment, imprisonment for life shall be reckoned as equivalent to imprisonment for twenty years.”

Conclusion

तो दोस्तों यह था आईपीसी धारा 57 क्या है?, IPC Section 57 in Hindi का मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, तो अगर लेख का इंफॉर्मेशन अच्छा है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें. हमारी साईट पर विजिट करने के लिए आपका धन्यवाद.

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