IPC Section 37 in Hindi | आईपीसी धारा 37 क्या है – धारा 37 का विवरण

IPC Section 37 in Hindi: हेल्लो फ्रेंड्स, आज मैं आपको भारतीय दंड संहिता, IPC Section 37 के बारे में बताऊंगा, यहाँ इस आर्टिकल में हम जानेंगे आईपीसी धारा 37 क्या है?, IPC Section 37 in Hindi धारा 36 किस प्रकार से परिभाषित की गई है, धारा 37 भारतीय दण्ड संहिता, IPC Section 37 Explained in Hindi, What is IPC Section 37 आदि के बारे में तो आइये शुरू करते हैं आज का यह पोस्ट.

IPC Section 37 in Hindi
Section 37 in Hindi

IPC Section 37 in Hindi | आईपीसी धारा 37 क्या है

IPC Section 37 यह धारा अपराध के लिए सामूहिक जिम्मेदारी के बारे में है, धारा 37 के अनुसार जब एक अपराध कई कार्यों के द्वारा किया जाता है तो जो कोई भी उस अपराध के किये जाने में संशय सहयोग करता है, चाहे वह अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर किसी एक कार्य को करता हो, वह उस अपराध का दोषी होता है.

सरल शब्दों में कहें तो IPC की धारा 37 कहती है कि जब दो या दो से अधिक लोग मिलकर एक अपराध करते हैं तो वे सभी उस अपराध के लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे भले ही उन्होंने अपराध को अलग-अलग तरीके से किया हो

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि दो लोग एक साथ मिलकर एक बैंक को लूटते हैं इस मामले में दोनों लोग बैंक डकैती के लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे भले ही उन्होंने बैंक डकैती को अलग-अलग तरीके से किया हो.

IPC Section 37 Explained in Hindi | What is IPC Section 37

धारा 37 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 37 के अनुसार, जब कि कोई अपराध कई कार्यों द्वारा किया जाता है, तब जो भी कोई या तो अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ सम्मिलित होकर उन कार्यों में से कोई एक कार्य करके उस अपराध के किए जाने में साशय सहयोग करता है, तो वह उस अपराध को करता है।

IPC Section 37 Explained

According to Section 37 – “When an offence is committed by means of several acts, whoever intentionally co-operates in the commission of that offence by doing any one of those acts, either singly or jointly with any other person commits that offence.”

Section 37 in Hindi – सजा और जमानत

धारा 37 का महत्व यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि सामूहिक अपराधों के लिए सभी जिम्मेदार लोग दंडित होते हैं धारा 37 के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. संशय सहयोग का अर्थ है कि व्यक्ति को पता होना चाहिए कि वह एक अपराध में शामिल हो रहा है और वह उस अपराध में शामिल होने का इरादा रखता है.
  2. सहायता करने वाला व्यक्ति किसी भी एक कार्य को कर सकता है जो अपराध का हिस्सा है.
  3. सहायता करने वाला व्यक्ति अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर कार्य कर सकता है
  4. सहायता करने वाला व्यक्ति अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का तालमेल नहीं रखना चाहिए

धारा 37 के कुछ और उदाहरण एक दो व्यक्ति

  1. दो व्यक्ति एक साथ मिलकर किसी व्यक्ति को मारने का फैसला करते हैं और फिर एक साथ मिलकर उस व्यक्ति को मार देते हैं इस मामले में दोनों व्यक्ति हत्या के लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे
  1. एक व्यक्ति किसी व्यक्ति को भोजन देने में विफल रहता है और फिर कोई दूसरा व्यक्ति उस व्यक्ति को पीटता है, और उस व्यक्ति कि मृत्यु हो जाने पर इस मामले में दोनों व्यक्ति हत्या के लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे,
  2. एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाता है और फिर वह व्यक्ति अपराध करता है, इस मामले में भी दोनों व्यक्ति अपराध के लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे.

Conclusion

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट से आईपीसी की धारा 37 के बारे में समझ में आया होगा, यदि आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई प्रश्न अथवा कोई सुझाव है तो कृपया हमें कमेन्ट करके जरुर बताये, हमारे इस पोर्टल ipc-section.com पर अन्य IPC Section की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं धन्यवाद.

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