IPC Section 36 in Hindi | धारा 36 भारतीय दण्ड संहिता – पूरी जानकारी

IPC Section 36 in Hindi: हेल्लो फ्रेंड्स, आज इस लेख में हम आपको भारतीय दंड संहिता, आईपीसी की धारा 36 के बारे में बताएँगे, इस आर्टिकल में हम आईपीसी धारा 36 क्या है? Section 36 of IPC in Hindi, धारा 36 भारतीय दण्ड संहिता, IPC Section 36 Explained in Hindi, What is IPC Section 36 आदि के बारे में जानेंगे तो चलिए बिना किसी देरी के आज का यह लेख शुरू करते हैं.

IPC Section 36 in Hindi
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IPC Section 36 in Hindi | धारा 36 भारतीय दण्ड संहिता

IPC Section 36 यह धारा कार्य और लोप के द्वारा उत्पन्न होने वाले परिणामों के बारे में है, धारा 36 के अनुसार, जहां कहीं किसी निश्चित परिणाम को उत्पन्न करना या उस परिणाम को उत्पन्न करने का प्रयास किसी कार्य या लोप द्वारा अपराध है तो यह समझा जाता है कि उस परिणाम को आंशिक रूप से कार्य द्वारा और आंशिक रूप से लोप द्वारा उत्पन्न करना भी वही अपराध है.

सरल शब्दों में कहें तो IPC Section 36 कहती है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य और लोप का संयुक्त प्रभाव एक परिणाम उत्पन्न करता है, जो एक अपराध है तो व्यक्ति को उस अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

उदाहरण के लिए- मान लीजिए कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को भोजन देने में विफल रहता है और फिर उसे पीटता है, इस मामले में व्यक्ति के कार्य और लोप का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति की मृत्यु है, क्योंकि मृत्यु एक अपराध है, इसलिए व्यक्ति को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

IPC Section 36 Explained in Hindi | What is IPC Section 36

धारा 36 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 36 के अनुसार, जहां कहीं किसी कार्य द्वारा या किसी लोप द्वारा किसी परिणाम का कारित किया जाना या उस परिणाम को कारित करने का प्रयत्न करना अपराध है, वहां उस परिणाम का अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित किया जाना वही अपराध समझा जाता है

IPC Section 36 Definition

According to Section 36 – “Wherever the causing of a certain effect, or an attempt to cause that effect, by an act or by an omission, is an offence, it is to be understood that the causing of that effect partly by an act and partly by an omission is the same offence.”

धारा 36 का महत्व – सजा और जमानत

धारा 36 का महत्व यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि अपराधियों को उनके द्वारा किए गए सभी कार्यों और लोपों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.

  1. धारा 36 का उपयोग विभिन्न प्रकार के अपराधों के लिए किया जा सकता है, जिसमें हत्या, चोरी, धोखा धड़ी और जालसाजी शामिल है.
  2. धारा 36 के तहत दोषी ठहराए जाने पर अपराधियों को कारावास, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है,
  3. धारा 36 का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को जान से मारने का इरादा रखता है और वह ऐसा करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करता है, उदाहरण के लिए वह व्यक्ति को भोजन देने से रोक सकता है, उसे पीट सकता है या उसे जहर दे सकता है, यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो व्यक्ति को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. भले ही उसने हत्या करने के लिए एकल तरीका नहीं अपनाया हो.

Conclusion

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको इस लेख से आईपीसी की धारा 36 के बारे में समझ में आया होगा, अगर आपको हमारे इस पोस्ट से कुछ नया सिखने को मिला हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें यदि आपके मन में कोई प्रश्न अथवा सुझाव है तो कृपया नीचे कमेंट करें, धन्यवाद.

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