IPC Section 32 in Hindi | आईपीसी धारा 32 क्या है

IPC Section 32 in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज के इस पोस्ट मैं आपको भारतीय दंड संहिता, आईपीसी की धारा 32 के बारे में बताऊंगा, इस लेख में हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 32 क्या है? धारा 32 भारतीय दण्ड संहिता, IPC Section 32 Explained in Hindi, What is IPC Section 32 तो चलिए आज के इस आर्टिकल कि शुरुवात करते हैं.

IPC Section 32 in Hindi
IPC Section 32 in Hindi

IPC Section 32 in Hindi | आईपीसी धारा 32 क्या है

IPC Section 32 यह धारा उन अपराधों को कवर करती है, जो किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों के परिणाम स्वरूप होते हैं, साथ ही उन अपराधों को भी जो किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अवैध लोपों, ओमिशंस के परिणाम स्वरूप होते हैं, धारा 32 के अनुसार इस संहिता के हर भाग में जब तक कि संदर्भ से तत्व प्रतिकूल आशय प्रतीत ना हो, किए गए कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों का विस्तार अवैध लोपों पर भी है.

सरल शब्दों में कहें तो आईपीसी की धारा 32 कहती है कि यदि कोई धारा किसी कार्य को करने के बारे में बात करती है तो इसका अर्थ यह भी है कि धारा उस कार्य को करने में विफल रहने के बारे में भी बात करती है यदि ऐसा विफल होना अवैध है

उदाहरण के लिए धारा 304A जो हत्या की धारा है कहती है कि कोई व्यक्ति हत्या का दोषी होगा यदि वह किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, चाहे वह जानबूझकर हो या लापरवाही से, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है तो यह स्पष्ट रूप से एक कार्य है, हालांकि यदि कोई व्यक्ति लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है तो यह एक अवैध लोप है.धारा 32 के अनुसार धारा 304ए का अर्थ यह भी है कि कोई व्यक्ति लापरवाही से हत्या के लिए भी दोषी हो सकता है.

IPC Section 32 Explained in Hindi | What is IPC Section 32

धारा 32 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 32 के अनुसार, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल आशय प्रतीत न हो, इस संहिता के हर भाग में किए गए कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों का विस्तार अवैध लोपों पर भी है

IPC Section 32 Definition

According to Section 32 – In every part of this Code, except where a contrary intention appears from the context, words which refer to acts done extend also to illegal omissions.

धारा 32 का महत्व

धारा 32 का महत्व यह है कि ये सुनिश्चित करता है कि सभी अपराधों को कवर किया जाता है, भले ही वे कार्यों के परिणाम स्वरूप हो या अवैध लोपों के परिणाम स्वरूप.

  1. अवैध लोप तब होता है जब कोई व्यक्ति कर्तव्य या जिम्मेदारी का पालन करने में विफल रहता है और ऐसा विफल होना किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है.
  2. अवैध लोप के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति को कर्तव्य या जिम्मेदारी का पाल करने में विफल रहने का ज्ञान हो,
  3. अवैध लोप के लिए सजा अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होती है,
  4. धारा 32 का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है डॉक्टर का मामला, जो किसी व्यक्ति की मृत्यु को रोकने के लिए कर्तव्य का पालन करने में विफल रहता है, यदि डॉक्टर किसी व्यक्ति की मृत्यु को रोकने के लिए कर्तव्य का पालन करने में विफल रहता है, और ऐसा विफल होना किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है तो डॉक्टर अवैध लोप के लिए हो सकता है.

Conclusion

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट से आईपीसी की धारा 32 के बारे में समझ में आया होगा, यदि आपके मन में कोई प्रश्न अथवा सुझाव है तो कृपया नीचे कमेंट करें, धन्यवाद.

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