IPC Section 67 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे भारतीय दण्ड संहिता के धारा 67 के बारे में यहाँ पर हम बिस्तार से जानेंगे कि आईपीसी धारा 67 क्या है?, Section 67 of IPC in Hindi, धारा 67 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 67, IPC Section 67 Explained in Hindi, धारा 67 का विवरण आदि के बारे में तो चलिए बिना किसी देरी के आज के लेख कि शुरुवात करते हैं.
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IPC Section 67 in Hindi | आईपीसी धारा 67 क्या है
IPC Section 67 तो सबसे पहले इसकी परिभाषा चेक करते हैं उसके बाद एक-एक पॉइंट मैं आपको आसान शब्दों में बिल्कुल अच्छे से क्लियर करवा दूंगा
इसकी डेफिनेशन क्या कहती है If the offence be punishable with fine only इसमें यह बताया गया है कि यह धारा सिर्फ और सिर्फ उन पर उन धाराओं में लागू होगा उन आईपीसी के सेक्शंस पे लागू होगा या अपराधों में लागू होगा जहां पर कोर्ट को सिर्फ और सिर्फ फाइन करने की परमिशन है मतलब यहां पर कोर्ट कारावास की सजा नहीं दे सकती.
IPC Section 67 Explained in Hindi
देखिए इफ द ऑफेंस बी पनिशेबल विद फाइन ओनली कि यहां पर जिस अपराध की सजा सिर्फ और सिर्फ फाइन यानि जुर्माना है वहां पर ये आईपीसी का सेक्शन लागू होगा,
नेक्स्ट लाइन में हैं, the imprisonment which the Court imposes in default of payment of the fine shall be simple, and] the term for which the Court directs the offender to be imprisoned, in default of payment of fine, shall not exceed the following scale अब इसमें आगे क्या बताया गया है इसमें सबसे पहले तो ऑलरेडी मैं आपको बता चुका हूं एक पॉइंट तो यह है कि यह सिर्फ और सिर्फ यह वहां पर लागू होगा उन अपराधो में जहाँ पर अदालत सिर्फ फाइन ही कर सकती है यहां पर कारावास की सजा नहीं है एक तो ये पॉइंट है,
दूसरा पॉइंट इसमें है कि अब जो जेल की सजा होगी उस अपराधी को फाइन ना जमा करवाने की स्थिति में इन डिफॉल्ट ऑफ पेमेंट ऑफ फाइन, यह सिंपल यानि सादा होगी जैसे अगर कोर्ट किसी व्यक्ति को सजा देता है कि उसने जुर्माना जमा नहीं करवाया है, उसको जितनी भी सजा होगी, चाहे एक महीने की होती है, दो महीने की होती है, वह हमेशा सिंपल ही होगी.
जैसा कि आप इसके पहले के IPC Section में जान ही चुके हैं कि कारावास सजा दो तरीके की होती हैं, एक Simple (सादा) होती है और एक rigorous (कठोर) होती है, Simple मतलब जिसमें जेल में काम नहीं करना पड़ता, अपराधी को, rigorous मतलब अपराधी को परिश्रम करना उससे काम करवाया जाता है जेल में, तो फाइन ना जमा करवाने की स्थिति में हमेशा जितनी भी सजा होगी अपराधी को वो Simple ही होगी हमेशा, कभी भी rigorous नहीं होगी.
यह धारा कह रही है and the term for which the Court directs the offender to be imprisoned, in default of payment of fine, shall not exceed the following scale अब इसके लिए एक पैमाना बना दिया गया है एक स्केल बना दिया गया है कि सजा होगी कितने जुर्माने पर कितनी सजा दे सकती है कोर्ट तो उसके लिए एक पैमाना बना दिया गया है वह डिस्कस करते हैं कि कितनी सजा होगी
देखिए when the amount of the fine shall not exceed देखिए इसमें पहले में क्या है ₹50 कि जब कभी भी फाइन का जो मतलब जो फाइन है जो जुर्माना है उसका अमाउंट अगर ₹50 है या ₹50 से कम है तो उसकी जो सजा है कोर्ट वह ज्यादा से ज्यादा कितनी दे सकती है दो महीने यानि सिर्फ टू मंथ्स की सजा देती है सकती है, कहने का मतलब यह है, इसमें जो स्केल बनाया गया है, इस सेक्शन के अकॉर्डिंग अगर किसी को अपराधी को कोर्ट ने ₹50 से कम का जुर्माना सुनाया है और उसके पास ₹50 नहीं है तो कोर्ट उसको ज्यादा से ज्यादा दो महीने की सजा दे सकती है इससे ज्यादा नहीं दे सकती.
इसके अलावा for any terms not exceeding four months when the amount shall not exceed one hundred rupees देखिए अगर ₹50 से जुर्माना ज्यादा है, हमने पहले क्या जाना कि ₹50 से अगर कम है जुर्माना तो ज्यादा से ज्यादा दो महीने की सजा अदालत सुना सकती है, लेकिन अगर ₹50 से ज्यादा है और ₹100 से कम है, मतलब 50 और 100 के बीच में है और अगर अपराधी उसको जमा नहीं करवाता है तो उसको ज्यादा से ज्यादा कोर्ट फोर मंथ्स की यानि चार महीने कि सजा दे सकती है ,
लास्ट लाइन क्या कहती है for any term not exceeding six months in any other case. अगर जुर्माना ₹100 ज्यादा है चाहे 200 है चाहे कितना भी है चाहे हजार है 1000 है 2000 है 5000 है कितना भी जुर्माना है तो कोर्ट ज्यादा से ज्यादा जो सजा दे सकती है फाइन जमा ना करवाने की स्थिति में इन डिफॉल्ट ऑफ पेमेंट ऑफ ज्यादा से ज्यादा कितनी सजा दे सकती है
कोर्ट सिक्स मंथ्स की 6 महीने की 6 महीने से ज्यादा किसी को भी फाइन ना जमा करवाने की स्थिति में 6 महीने से ज्यादा जेल की सजा कोर्ट के द्वारा नहीं सुनाई जा सकती तो यह एक टर्म बना दिया गया है स्केल बना दिया गया है पैमाना बना दिया गया है सजा देने के लिए तो यही था आईपीसी का सेक्शन 67
धारा 67 का विवरण – What is IPC Section 67
धारा 67 का विवरण
आर्थिक दण्ड न चुकाने पर कारावास, जबकि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो
भारतीय दंड संहिता की धारा 67 के अनुसार, यदि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो तो वह कारावास, जिसे न्यायालय आर्थिक दण्ड चुकाने में चूक होने की दशा के लिए अधिरोपित करे, सादा होगा और वह अवधि, जिसके लिए आर्थिक दण्ड चुकाने में चूक होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निदेश दे, निम्न परिमाण से अधिक नहीं होगी, अर्थात्: –
दो मास तक की कोई अवधि अगर आर्थिक दण्ड का परिमाण पचास रुपए से अधिक न हो,
तथा चार मास तक की कोई अवधि अगर आर्थिक दण्ड का परिमाण सौ रुपए से अधिक न हो,
तथा किसी अन्य दशा में छह मास तक कोई अवधि।
IPC Section 67 Definition
According to Section 67 – “Imprisonment for non-payment of fine when offence punishable with fine only”–
“ If the offence be punishable with fine only, the imprisonment which the Court imposes in default of payment of the fine shall be simple, and] the term for which the Court directs the offender to be imprisoned, in default of payment of fine, shall not exceed the following scale, that is to say, for any terms not exceeding two months when the amount of the fine shall not exceed fifty rupees, and for any terms not exceeding four months when the amount shall not exceed one hundred rupees, and for any term not exceeding six months in any other case.”
Conclusion
तो दोस्तों उम्मीद करता हूं आईपीसी धारा 67 क्या है?, IPC Section 67 in Hindi क्लियर हो गया होगा अगर कोई कंफ्यूजन रह गई हो तो कृपया कमेंट करके जरूर बताइएगा अगले पोस्ट में हम बात करेंगे आईपीसी के सेक्शन 68 के बारे में तो अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें धन्यवाद.
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