IPC Section 64 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे भारतीय दण्ड संहिता के धारा 64 के बारे में यहाँ इस पोस्ट में हम बिस्तार से समझेंगे कि आईपीसी धारा 64 क्या है? Section 64 of IPC in Hindi, धारा 64 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 64, IPC Section 64 Explained in Hindi, धारा 64 का विवरण तो आइये देर न करते हुए आज के इस पोस्ट कि शुरुवात करते हैं
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IPC Section 64 in Hindi | आईपीसी धारा 64 क्या है
आईपीसी का जो सेक्शन 64 है इसकी जो परिभाषा है काफी लम्बी है तो इसको सबसे पहले डेफिनेशन चेक करते हैं उसके बाद बिल्कुल आसान शब्दों में आपको एक-एक शब्द समझाऊंगा इसकी definition चेक कर लेते हैं
In every case, of an offence punishable with imprisonment as well as fine, in which the offender is sentenced to a fine, whether with or without imprisonment,and in every case of an offence punishable with imprisonment or fine, or with fine only, in which the offender is sentenced to a fine,it shall be competent to the Court which sentences such offender to direct by the sentence that, in default of payment of the fine, the offender shall suffer imprisonment for a certain term, in which imprisonment shall be in excess of any other imprisonment to which he may have been sentenced or to which he may be liable under a commutation of a sentence.
IPC Section 64 Explained in Hindi
यह इसकी डेफिनेशन है, अब इसकी डेफिनेशन कहती है क्या है, अगर हम आसान शब्दों में समझे तो देखिए जो imprisonment होती है इसका मतलब होता है जेल की सजा यानि कारावास, हम पहले वाले सेक्शंस में पढ़ चुके हैं कि कोर्ट के पास यह पावर होती है कि सजा किस तरीके से सुनाए, सजा के तरीके कौन से होते हैं, कोर्ट कारावास दे सकती है, life imprisonment अर्थात उम्रकैद या फिर डेथ पेनल्टी मतलब सज़ा ए मौत भी दे सकती है या फिर फाइन मतलब जुर्माना कर सकती है
आने वाले सेक्शंस में आप पढ़ेंगे आईपीसी के अंदर जब सज़ा मिलती है तो कुछ सेक्शंस में क्या होता है कि कारावास भी होती है और साथ में जुर्माना भी होता है मतलब उसमें बकायदा सेक्शन में लिखा होता है तो कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता कि सिर्फ जेल की सज़ा दे, अगर उस सेक्शन में लिखा हुआ है कि जेल की सजा भी करनी पड़ेगी अपराधी को और साथ में फाइन भी करना पड़ेगा तो कोर्ट को उसी तरीके से जेल की सजा और फाइन दोनों करना पड़ेगा
कुछ सेक्शंस में क्या होता है कि कारावास भी कर सकते हैं या फिर जुर्माना भी कर सकते हैं मतलब वो कोर्ट के पास ऑप्शन होती है और कुछ सेक्शंस में क्या होता है जुर्माने के तौर पर सिर्फ और सिर्फ फाइन ही होता है उसमें imprisonment होती ही नहीं है
तो यह तीन ऑप्शन होते हैं कोर्ट के पास या तो जुर्माने वाले सेक्शन आएंगे जिनमें सिर्फ जुर्माना ही होगा कुछ सेक्शंस में फिर फाइन या कारावास दोनों ही कर सकती है या कुछ सेक्शन जिसमें दोनों ही करने पड़ेंगे जेल की सजा यानि कारावास भी और फाइन भी तो आईपीसी का सेक्शन 64 क्या कहता है
आईपीसी का सेक्शन 64 जो इसकी परिभाषा यह कहती है कि अगर कहीं पर भी किसी अपराधी को जो सजा होती है तो अगर उसमें चाहे कारावास (imprisonment) है चाहे कारावास नहीं है अगर कोर्ट ने किसी सेक्शन में किसी को जुर्माना किया और अगर उसने जुर्माना नहीं जमा करवाया तो in default यहां पर वर्ड है
इन डिफॉल्ट उसको जो रकम है जो उसने जमा नहीं करवाई है फाइन के रूप में तो फिर उसको कोर्ट अलग से कर कारावास सकती है चाहे उस सेक्शन में imprisonment नहीं है लेकिन अगर उस उसने पेमेंट ऑफ फाइन जमा नहीं करवाई है, तो फिर कोर्ट उसको ऑर्डर कर सकती है कि उसको फाइन जमा ना करवाने की परिस्थिति में इंप्रजनमेंट को उसको suffer (भुगतना) पड़ेगा
मतलब कहने का यह है कि उसको अगर उस सेक्शन में जिस अपराध में उसको सजा सुनाई गई है अगर उस सेक्शन में साथ में कारावास है यानि जेल की सजा है तो वह उसको काटनी ही पड़ेगी लेकिन साथ में जो जुर्माना किया गया है अगर वह फाइन जमा नहीं करवाता है तो उसकी सजा अलग से फौरन निश्चित अवधि के लिए कोर्ट सजा करेगी वह अलग से उसको काटनी पड़ेगी
एग्जांपल के तौर पर अगर मान के चलिए किसी ने रेप की कंप्लेंट हुई है किसी की और उसको रेप करने के लिए सज़ा मिली है तो कोर्ट ने उसको 7 साल तक की सजा सुना दी आईपीसी का सेक्शन 376 पर लगी और उसको सजा हो गई 7 साल की और कोर्ट ने साथ में यह भी आर्डर कर दिया कि उसको ₹2000 फाइन के भी जमा करवाने पड़ेंगे सात साल की सजा और साथ अब अगर वह इन डिफॉल्ट मतलब अगर फाइन जमा नहीं करवाता है तो अपराधी को 7 साल की सजा तो उसको भुगतनी ही पड़ेगी.
लेकिन अगर उसने फाइन भी जमा नहीं करवाया तो इन डिफॉल्ट उसको कोर्ट ऑर्डर कर सकती है कि 6 महीने की सजा उसको अलग से भुगतनी पड़ेगी ये मैं सिर्फ एक एग्जांपल दे रहा हूं छ महीने की जगह दो महीने भी हो सकती है एक साल भी हो सकती है वो डिपेंड करता है तो इस तरीके से इस सेक्शन के अंदर यही बताया गया है कि चाहे किसी केस में जेल की सजा है चाहे जेल की सजा नहीं है कई बार क्या होता है कि जेल की सजा के साथ फाइन भी होता है कई बार सिर्फ फाइन होता है और कई बार जेल की सजा या फाइन दोनों में से कोई एक होता है
चाहे किसी भी तरीके का केस है लेकिन अगर फाइन वाली कोई ऑप्शन है कोर्ट के पास और कोर्ट ने अगर किसी को जुर्माना कर दिया है तो उसके बाद ये कोर्ट जो है वह सक्षम होता है इसमें वर्ड है competent court यानि सक्षम न्यायालय के पास ये पावर होती है कि अगर उसको जुर्माना किया गया है उस सेक्शन के अकॉर्डिंग और उस शख्स ने वो फाइन जमा नहीं करवाया है तो इन डिफॉल्ट उस पेमेंट ऑफ फाइन की जगह पे उसको जेल की सजा का suffer यानि भुगतना पड़ेगा चाहे उसको पहले अलग से सजा सुना दी गई है
जैसे मैंने एग्जांपल दिया था कि 7 साल की सजा तो ऑलरेडी उसको सुना दी गई थी कोर्ट की तरफ से लेकिन साथ में जो ₹2000 जुर्माना किया था वो अगर उसने नहीं जमा करवाया तो उसके लिए कोर्ट अलग से किसी निश्चित टर्म के लिए उसको सजा और सुना सकती है और वो अलग से ही काटनी पड़ेगी, हां उसके पास ये ऑप्शन जरूर है कि अगर 7 साल की सजा खत्म हो गई और अगर उसके पास पैसे हैं तो वह कभी भी पैसे जमा करवा सकता है और बाकी की जो फाइन के लिए इन डिफॉल्ट उसको सजा सुनाई गई है
वो उसकी माफ हो जाएगी क्योंकि उसने फाइन जमा करवा दिया है तो ये अपराधी के पास ऑप्शन होता है तो यही इसमें बताया गया है other imprisonment to which he may have been sentenced or to which he may be liable under a commutation of a sentence. यहां इसमें यह बताया गया है कि अगर किसी की सजा commutation भी की गई है
कम्यूट मतलब किसी की सजा को तब्दील कर देना, जैसे उमर कैद की सजा को अगर Appropriate Government (उपयुक्त सरकार) है वह तब्दील कर देती है, जैसे उम्र कैद की सजा को, उम्र कैद का मतलब तो होता है कि जब तक नेचुरल डेथ नहीं हो जाती किसी की तब तक वह जेल में रहेगा, लेकिन सरकार के पास Appropriate Government के पास यह पावर होती है कि किसी की सजा को कम्यूट कर सकती है, तब्दील कर सकती है, मान के चलिए किसी उपयुक्त सरकार ने किसी की सजा को उम्र कैद की सजा को कम्यूट कर दिया है
जैसे परिभाषा में लिखा हुआ है commutation of a sentence तो कम्यूट कर दिया है और उमर कैद की सजा को 14 साल में तब्दील कर दिया या 10 साल में तब्दील कर दिया तो वह 10 साल की सजा तो उसको भुगतनी ही पड़ेगी और अगर उसमें साथ ही जुर्माना है और उसने नहीं जमा करवाया तो जुर्माने के लिए एक निश्चित टर्म के लिए अलग से कोर्ट उसको सजा सुना सकती है तो यही बताया गया है आईपीसी कि धारा 64 के अंदर. IPC Section 64 in Hindi | आईपीसी धारा 64 क्या है
धारा 64 का विवरण – What is IPC Section 64
धारा 64 का विवरण
जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
भारतीय दंड संहिता की धारा 64 के अनुसार, कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय अपराध के हर मामले में, जिसमें अपराधी कारावास सहित या रहित, जुर्माने से दण्डादिष्ट हुआ है,
तथा 2[कारावास या जुर्माने अथवा] केवल जुर्माने से दंडनीय अपराध के हर मामले में, जिसमें अपराधी जुर्माने से दण्डादिष्ट हुआ है,]
वह न्यायालय जो ऐसे अपराधी को दण्डादिष्ट करेगा, सक्षम होगा कि दण्डादेश द्वारा निदेश दे कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा में, अपराधी अमुक अवधि के लिए कारावास भोगेगा जो कारावास उस अन्य कारावास के अतिरिक्त होगा जिसके लिए वह दण्डादिष्ट हुआ है या जिससे वह दण्डादेश के लघुकरण पर दण्डनीय है ।
IPC Section 64 Definition
According to Section 64 – “Sentence of imprisonment for non-payment of fine”–
In every case, of an offence punishable with imprisonment as well as fine, in which the offender is sentenced to a fine, whether with or without imprisonment,
and in every case of an offence punishable with imprisonment or fine, or with fine only, in which the offender is sentenced to a fine,
it shall be competent to the Court which sentences such offender to direct by the sentence that, in default of payment of the fine, the offender shall suffer imprisonment for a certain term, in which imprisonment shall be in excess of any other imprisonment to which he may have been sentenced or to which he may be liable under a commutation of a sentence.
IPC Section 64 in Hindi | आईपीसी धारा 64 क्या है
Conclusion
तो दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको क्लियर हो गया होगा कि आईपीसी का सेक्शन 64 क्या कहता है, आईपीसी धारा 64 क्या है?, IPC Section 64 in Hindi यहाँ मैंने बिल्कुल आसान तरीके से समझाने की कोशिश की है, अगर फिर भी आपको कोई कंफ्यूजन रह गई हो तो प्लीज कमेंट करके आप अपना प्रश्न पूछ सकते है तो अगले पोस्ट में हम बात करेंगे आईपीसी के सेक्शन 65 के बारे में यदि ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर साझा करें धन्यवाद
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