IPC Section 20 in Hindi: नमस्कार दोस्तों मैं आपको आज के पोस्ट में भारतीय दंड संहिता कि IPC Section 20 के बारे में बताने जा रहा हूं, जो न्यायालय यानि Court शब्द को परिभाषित करता है, तो चलिए आज के लेख को शुरू करते हैं और आपको इसके बारे में बताते हैं कि आईपीसी धारा 20 क्या है?, Section 20 in Hindi
IPC Section 20 in Hindi | आईपीसी धारा 20 क्या है
धारा 20 भारतीय दण्ड संहिता में न्यायालय अर्थात Court शब्द की परिभाषा दी गई है, इस धारा के अनुसार न्यायालय शब्द का अर्थ उस न्यायाधीश से है, जिसे विधि द्वारा अकेले ही न्यायिक कार्य करने के लिए सशक्त किया गया हो या उस न्यायाधीश समूह से है जिसे विधि द्वारा एक निकाय के रूप में न्यायिक कार्य करने के लिए सशक्त किया गया हो
जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश समूह जो न्यायिक कार्य कर रहा हो इसे सरल शब्दों में समझा जाए तो न्यायालय शब्द का प्रयोग उस न्यायाधीश के लिए किया जाता है जिसे कानून द्वारा अकेले ही न्यायिक कार्य करने की शक्ति दी गई हो या उस न्यायाधीश समूह के लिए किया जाता है जिसे कानून द्वारा एक निकाय के रूप में न्यायिक कार्य करने की शक्ति दी गई हो.
जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश समूह न्यायिक कार्य कर रहा हो, उदाहरण के लिए एक सिविल कोर्ट या एक आपराधिक अदालत एक न्यायालय है, क्योंकि यह न्यायाधीशों द्वारा गठित है, जिन्हें विधि द्वारा न्यायिक कार्य करने के लिए सशक्त किया गया है, एक पंचायत जो एक गांव या नगर के लोगों द्वारा गठित की गई है और जो विवादों का निपटारा करती है.
वह भी एक न्यायालय है, क्योंकि इसे विधि द्वारा न्यायिक कार्य करने के लिए सशक्त किया गया है, इसके अलावा एक सिविल कोर्ट, एक अपराधिक अदालत, एक परिवार अदालत, एक ट्रिब्यूनल आदि सभी न्यायालय हैं.
धारा 20 का महत्व यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि केवल ऐसे व्यक्ति ही न्यायालय कहला सकेंगे जो विधि द्वारा न्यायिक कार्य करने के लिए सशक्त हो, यह इस बात से बचाव करता है कि कोई व्यक्ति या समूह स्वयं को न्यायालय कहकर लोगों को गुमराह ना करें. और उनसे अवैध रूप से अधिकार प्राप्त ना कर ले.
IPC Section 20 का महत्व यह भी है कि यह भारतीय दंड संहिता में कई अन्य प्रावधानों में उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण शब्द है. उदाहरण के लिए धारा 197 में यह कहा गया है कि किसी व्यक्ति को किसी न्यायालय के समक्ष झूठे हलफनामा देने के लिए दंडित किया जा सकता है.
इस प्रावधान में न्यायालय शब्द का अर्थ धारा 20 में परिभाषित किया गया है. उदाहरण के लिए धारा 190 के तहत किसी व्यक्ति को केवल तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब उसे न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया हो और धारा 20 के अनुसार केवल एक न्यायालय ही वारंट जारी कर सकता है
इसलिए धारा 20 भारतीय दंड संहिता में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो कई अन्य प्रावधानों में उपयोग किया जाता है यह शब्द न्यायालय को परिभाषित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि दंड संहिता के प्रावधानों को सही तरीके से लागू किया जा सके
What is IPC Section 20
धारा 20 का विवरण
आईपीसी की धारा 20 के अनुसार-
“न्यायालय”-
“न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकतः कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकतः कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जब कि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश निकाय न्यायिकतः कार्य कर रहा हो, द्योतक है।
IPC Section 18 Definition
“Court of Justice”-
The words “Court of Justice” denote a Judge who is empowered by law to act judicially alone, or a body of Judges which is empowered by law to act judicially as a body, when such Judge or body of Judges is acting judicially.
Conclusion
तो दोस्तों यह थी भारतीय दंड संहिता आईपीसी की IPC Section 20 के बारे में हमारा यह लेख आईपीसी धारा 20 क्या है?, IPC Section 20 in Hindi आपको कैसा लगा कृपया कमेंट बॉक्स में हमसे साझा करें और इस पोस्ट को अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूलें धन्यवाद.
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