IPC Section 85 in Hindi | आईपीसी धारा 85 क्या है – धारा 85 का विवरण

IPC Section 85 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं भारतीय दण्ड संहिता कि धारा 85 के बारे में यानि IPC Section 85 के बारे में यहाँ पर हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 85 क्या है? Section 85 of IPC in Hindi, धारा 85 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 85, IPC Section 85 Explained in Hindi, धारा 85 का विवरण आदि के बारे में तो आइये बिना देरी किये आज के इस लेख कि शुरुवात करते हैं

IPC Section 86 in Hindi
IPC Section 86 in Hindi

IPC Section 85 in Hindi | आईपीसी धारा 85 क्या है

आईपीसी की धारा 85 में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है आप सभी जानते हैं कि धारा 76 से लेकर 106 तक सामान्य अपवाद में है इस अपवाद के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति अपना बचाव करता है तो उसको साबित करना पड़ता है कि मैंने यह कार्य नहीं किया है आईपीसी की धारा 85 यह स्पष्ट वर्णन करती है कि कोई बात अपराध नहीं है हुआ जो व्यक्ति वह कार्य कर रहा है

IPC Section 85 Explained in Hindi

जिसका उसको इस बात का ज्ञान नहीं है कि जो कर रहा हूं वह प्रकृति क्या है उसकी उसका परिणाम क्या होगा यानी उसका विधि विरुद्ध क्या सज़ा है इस सभी बातों से अनजान रहता है तभी उसका बचाव ले सकता है अगर कोई व्यक्ति आईपीसी की धारा 85 का बचाव करता है तो उसे मुख्य रूप से दो बातें साबित करनी होती हैं न्यायालय में

ऐसा नहीं कि आप किसी कि हत्या कर दें और कहें यह मैंने जान बूझ कर नहीं किया है या नशे में कर दिया इसका बचाव करने के लिए दो पॉइंट होना सबसे महत्वपूर्ण है तभी आपको इस धारा का लाभ मिल पाएगा

जो सबसे पहला है कार्य के प्रकृति करते वक्त जो कार्य वह कर रहा है उसे समझने में वो असमर्थ हो यानि जो वह व्यक्ति कर रहा है किसी हत्या किसी से मारपीट कि उस कार्य की प्रकृति को समझने में वह असमर्थ हो यानी वह नहीं जानता है कि मैं क्या कर रहा हूं और इसका क्या परिणाम होगा

जो दूसरा पॉइंट है यह सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के द्वारा इस धारा का बचाव मिल पाता है यानि यह साबित करना होगा कि जो आपने नशा किया है वह नशा किसी व्यक्ति के द्वारा जबरदस्ती या छल पूर्वक या आपको इस प्रकार से पिला दिया गया है किसी अन्य वस्तु में मिलाकर जो आप नहीं जानते हैं

तब जाकर आपको धारा 85 यानि इस अपवाद का लाभ मिल पाएगा यानि एक तरह से कहा जाए तो इसका बचाव भी है और इसका दुष्परिणाम भी है क्यूंकि आईपीसी की धारा 85 अपवाद में आती है इसलिए इस धारा का बचाव करने के लिए आपको यह दो प्वाइंट साबित करना होगा

धारा 85 का विवरण – What is IPC Section 86

धारा 85 का विवरण

से व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है-

भारतीय दंड संहिता की धारा 85 के अनुसार कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय मत्तता के कारण उस कार्य की प्रकॄति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है, जानने में असमर्थ है, परन्तु यह तब जब कि वह चीज, जिससे उसकी मत्तता हुई थी, उसके अपने ज्ञान के बिना या इच्छा के बिना या इच्छा के विरुद्ध दी गई थी

IPC Section 85 Definition

According to Section 85 – “Act of a person incapable of judgment by reason of intoxica­tion caused against his will ”–

“Nothing is an offence which is done by a person who, at the time of doing it, is, by reason of intoxication, incapable of knowing the nature of the act, or that he is doing what is either wrong, or contrary to law; provided that the thing which intoxicated him was administered to him without his knowledge or against his will.”

Conclusion

तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आईपीसी धारा 85 क्या है?, IPC Section 85 in Hindi को आप अच्छे से समझ चुके होंगे अगर फिर भी आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल है तो आप कमेन्ट करके हमसे पूछ सकते हैं अगले लेख में हम बात करेंगे धारा 86 के बारे में धन्यवाद

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