IPC Section 77 in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे भारतीय दण्ड संहिता के सेक्शन 77 के बारे में यानि IPC Section 77 के बारे में यहाँ इस लेख में हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 77 क्या है? Section 77 of IPC in Hindi, धारा 77 भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 77, IPC Section 77 Explained in Hindi, धारा 77 का विवरण आदि के बारे में तो आइये बिना किसी देरी के आज के इस पोस्ट को शुरू करते हैं
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IPC Section 77 in Hindi | आईपीसी धारा 77 क्या है
आईपीसी का सेक्शन 77 क्या कहता है सबसे पहले इसकी परिभाषा चेक करते हैं उसके बाद एक-एक पॉइंट आपको आसान तरीके से समझाऊंगा Section 77 डेफिनेशन है इसकी Nothing is an offence which is done by a Judge तो यहां पर जज साहब की बात हो रही है मजिस्ट्रेट साहब की बात हो रही है Nothing is an offence which is done by a Judge when acting judicially कि जब कोई जज जुडिशियली यानि न्यायिक रूप में कोई काम करेगा तो उसको ऑफेंस नहीं माना जाएगा
IPC Section 77 Explained in Hindi
आगे इसकी डेफिनेशन क्या कहती है in the exercise of any power which is, or which in good faith he believes to be, given to him by law.” तो आईपीसी का सेक्शन 77 जो है वो यह कहता है कि कि कोई भी काम जो है वह किसी जज के द्वारा होना चाहिए, जज साहब के द्वारा अगर कोई काम होता है उसकी बात की जा रही है यहां पर मैजिस्ट्रेट के द्वारा तो जज साहब अगर कोई काम करते हैं उस टाइम जब वह जुडिशियली एक्टिंग कर रहे हैं मतलब कोई काम कर रहे हैं वह
judicially एक जो जज होता है वह दो तरीके से काम कर सकता है एक तो judicially यानि न्यायिक कर सकता है और एक administratively यानि प्रशासनिक कर सकता है जुडिशियली काम करने में और एडमिनिस्ट्रेटिवली काम करने में क्या डिफरेंस होता है मैं आपको समझाता हूं
judicially तब माना जाएगा जब जज साहब अपनी कुर्सी पर बैठकर किसी केस की सुनवाई सुन रहे हो या कोई ऑर्डर पास कर रहे हो या कोई जजमेंट दे रहे हो फैसला दे रहे हो या किसी केस की सुनवाई सुन रहे हो तो उस टाइम माना जाएगा कि वह जुडिशियली एक्ट कर रहे हैं
administratively कोई जज कब एक्ट करता है जब मान के चलिए अपने रिटायरिंग रूम में अपने चेंबर में बैठकर कोर्ट के साथ जो उनका साथ में रूम होता है आराम करने के लिए या कोई अपने स्टाफ से बात करने के लिए अपने स्टाफ को कोई निर्देश दे रहे हैं ऑर्डर दे रहे हैं या कोई ऐसा ऑर्डर पास कर रहे हैं कोई कोर्ट से रिलेटेड जैसे कोई पार्किंग के लिए कोई उन्होंने टाइमिंग फिक्स कर दी है या वकीलों की पार्किंग यहां पर होगी ऐसा कोई नोटिस जारी कर रहे हैं
कि जजेस की पार्किंग यहां पर होगी स्टाफ की पार्किंग यहां पर होगी मतलब कोई एडमिनिस्ट कोई ऑर्डर पास कर रहे हैं या अपने स्टाफ को कोई निर्देश दे रहे हैं तो उसको माना जाएगा कि वह administratively काम कर रहा है कोई जज.
जुडिशियली कब एक्ट करते हैं जब वह अपनी जज साहब की कुर्सी में बैठ के कोर्ट में किसी केस की सुनवाई सुनते हैं या कोई ऑर्डर पास करते हैं या कोई फैसला सुनाते हैं तब वह जुडिशियली एक्ट करते हैं तो यहां पर आपको क्लियर हो गया है
तो Nothing is an offence which is done by a Judge when acting judicially जब कोई जज जुडिशियली एक्ट कर रहा है तो उसको ऑफेंस नहीं माना जाएगा जब कोई अपनी पावर का इस्तेमाल करके किसी को कोई फैसला सुनाते हैं जो कानून के द्वारा उनको पावर दी गई है
जैसे मान के चलिए वो कोई फैसला सुनाते हैं और उनको लगता है कि इस अपराधी ने अपराध किया है और यहां पर इसको इतने साल की सजा सुनाई जा सकती है तो अगर वह किसी को सजा सुनाते हैं तो उसको ऑफेंस नहीं माना जाएगा क्योंकि वह जुडिशियली एक्ट कर रहे हैं और कानून के द्वारा उनको यह पावर मिली हुई है कि वह सजा सुना सकते हैं या किसी को बरी कर सकते हैं तो उसको अपराध नहीं माना जाएगा
कब नहीं माना जाएगा, जब उनको यह जो पावर कानून के द्वारा दी गई है, उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, लास्ट लाइन देखिए और which in good faith he believes to be, given to him by law.” या फिर उनको वह पावर कानून ने नहीं दी है, उनको ताकत वो कानून ने नहीं दी है, लेकिन उनको गुड फेथ में यह लगता है कि उनको यह पावर कानून के द्वारा मिली है,
गुड फेथ का मतलब आईपीसी के अंदर क्या होता है, गुड फेथ का मतलब होता है विद ड्यू केयर एंड अटेंशन मतलब पूरी सावधानी के साथ तो जज साहब को यह लगता है कि उनको यह पावर मिली है कानून के द्वारा हालांकि असल में उनको यह पावर नहीं मिली है.
एक तो बात हो गई कि जब कोई वह ऐसा काम करते हैं जो वाकई में उनको यह पावर मिली हुई है, एक तो यह दूसरा पॉइंट यह है कि हो सकता है वो कोई भी फैसला सुना दे जो उनको पावर नहीं मिली है, लेकिन उनको ऐसा लगता है, उनको यह पता नहीं है कि उनको यह पावर नहीं मिली है, वह गुड फेथ में उनको यह लगता है, उनको विश्वास है कि उनको कानून ने यह पावर दिया है.
यह मैं आपको एक उदहारण के साथ समझाऊंगा तो ज्यादा क्लियर होगा आपको, मान के चलिए संशोधन होती रहती है कानून के अंदर, कोई नए जज साहब हैं जिनको कुछ ही दिन हुए हैं तो वो कोई ऐसा फैसला सुना देते हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की कोई डायरेक्शन थी पुरानी जो बाद में बदल दी गई, लेकिन जो बदलाव आया वह नए जज साहब को नहीं पता, वह नहीं मालूम या वह दो-चार दिन पहले ही वो बदलाव आया है
और उन जज साहब को वह पुरानी डायरेक्शंस का पता है तो वह पुरानी डायरेक्शंस के मददेनजर ही अगर किसी को सजा सुना देते हैं या कोई फैसला कर देते हैं हालांकि वह जो कानून है जिसके मद्देनजर जिसके तहत वह कोई ऑर्डर पास कर देते हैं वह बदल चुका है लेकिन वह उसको बदले हुए हालांकि एक या दो दिन ही हुए हैं और उनको पता नहीं है मैजिस्ट्रेट साहब को उनको लगता है कि उनके पास यह पावर है कि वह ऐसा फैसला कर सकते हैं
हालांकि असल में उनके पास यह पावर नहीं है तो उसके तहत अगर वह कोई ऑर्डर पास करते हैं या कोई आदेश पास करते हैं तो उसको अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि जज साहब ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है बल्कि गुड फेथ में पूरी सावधानी के साथ उनको लगता है कि जो मैं फैसला कर रहा हूं वह सही कर रहा हूं क्योंकि मुझे कानून ने यह पावर दी है
हालांकि वह कानून बदल चुका है अब उनके पास वो पावर नहीं है तो यह समझने वाली बात है तो इसमें यही समझाया गया है आईपीसी के सेक्शन 77 के अंदर कौन-कौन से पॉइंट मेन है
एक तो जो एक्ट है वह कोई जज कर रहा है और कब कर रहा है जब वह जुडिशियली एक्ट कर रहा है मतलब अपनी कोर्ट में बैठ के अपनी चेयर पर बैठ के कोई ना कोई किसी केस की सुनवाई सुन रहे हैं जैसा कोई फैसला कर रहे हैं या कोई आर्डर पास कर रहे हैं और जो कानून के द्वारा उनको पावर मिली हुई है उसका इस्तेमाल कर रहे हैं या उनको लगता है कि उनको कानून ने यह पावर दी है तो तब कोई भी एक्ट अगर वह करते हैं कानून के दायरे के अंदर तो उसको अपराध नहीं माना जाएगा ऑफेंस नहीं माना जाएगा
धारा 77 का विवरण – What is IPC Section 77
धारा 77 का विवरण
न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य
भारतीय दंड संहिता की धारा 77 के अनुसार कोई बात अपराध नहीं है, जो न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश द्वारा ऐसी किसी शक्ति के प्रयोग में की जाती है, जो या जिसके बारे में उसे सद््भावपूर्वक विश्वास है कि वह उसे विधि द्वारा दी गई है
IPC Section 77 Definition
According to Section 77 – “Act of Judge when acting judicially”
“Nothing is an offence which is done by a Judge when acting judicially in the exercise of any power which is, or which in good faith he believes to be, given to him by law.”
IPC Section 77 in Hindi | आईपीसी धारा 77 क्या है
Conclusion
तो दोस्तों आशा करता हूं आपको आईपीसी धारा 77 क्या है?, IPC Section 77 in Hindi अच्छे से समझ आ गया होगा अगर कोई कंफ्यूजन रह गई हो तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछिएगा अगले पोस्ट में हम बात करेंगे आईपीसी के सेक्शन 78 के बारे में तो बने रहिये ipc-section.com पोर्टल के साथ.धन्यवाद
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