IPC Section 4 in Hindi: हेलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है ipc-section.com के इस नए लेख में आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे। आईपीसी की धारा यानी कि भारतीय दंड संहिता की धारा 4 के बारे में यहाँ हम जानेंगे की IPC Section 4 in Hindi | आईपीसी धारा 4 क्या है, what is IPC Section 4 explanation। अगर आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 4 का यह लेख अच्छा लगे तो आप इसे शेयर जरूर करिएगा।
IPC Section 4 in Hindi | आईपीसी धारा 4 क्या है
आईपीसी की धारा 4 भारतीय अपराधिक कोर्ट को कुछ क्षेत्राधिकार प्रदान करती है जैसे कि भारत की बाहर की सीमाओं पर किया गया। भारत के निवासी द्वारा कोई अपराध और दूसरा भारत में किसी रजिस्टर्ड पोत पर या फिर विमान पर किया गया कोई अपराध भारत की सीमा के ऊपर एक यानी कि भारत के बाहर घटित होता है और अपराधी भारत की सीमा के अंदर पाया जाता है तो ऐसी कंडीशन में दो रास्ते अपनाए जा सकते हैं।
पहला तो ये कि उसे उस देश में सौंप दिया जाए जहां पर उसने वह अपराध किया है और दूसरा यह कि उसे पर केस भारत में चलाया जाए जब अपराधी भारत की बाहर की सीमाओं में अपराध कर देता है और भारत में पाया जाता है तो एक राज्य के द्वारा दूसरे राज्य को अपराधी सौंपने के सौंपने के काम को प्रत्यर्पण यानी कि Extradition कहा जाता है।
भारत के कोर्ट भारत के बाहर थल समुद्र और वायुयान पर घटित होने वाले अपराधों को सुन सकता है। दंड संहिता की धारा 3 और 4 दंड प्रक्रिया सहित की धारा 188 के अंतर्गत भारतीय कोर्ट भारत के बाहर घटित होने वाले अपराधों को भी सुन सकता है। अगर भारत के किसी नागरिक द्वारा कोई काम किया जाता है जो भारत में किया जाता तो दंडनीय होता तो ऐसा काम संहिता की धारा 4 (IPC Section 4) के अंतर्गत एक अपराध माना जाता है, जिसका विचार दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के अंतर्गत किया जाता है।
लेकिन IPC Section 4 के उपबंध ऐसी अभियुक्ततो के लिए लागू नहीं होते जो कि भारत का नागरिक ना हो लेकिन अगर कोई अभियुक्त अपराध करते समय भारत का नागरिक नहीं था। पर अपराध करने के बाद वह भारत की नागरिकता को स्वीकार कर लेता है। तब वो भारतीय कोर्ट द्वारा विचारणीय नहीं होगा। और भारत के बाहर अगर कोई व्यक्ति अपराध करता है तो वो भारत में कहीं भी पाया जाएगा। वहीं के क्षेत्राधिकार में उसकी सुनवाई होगी
what is IPC Section 4 Details & Explanation
Details of IPC Section 4 in Hindi
(IPC Section 4) भारतीय दंड संहिता की धारा 4 के अनुसार, इस संहिता के प्रावधान निम्नलिखित द्वारा किसी भी अपराध के लिए भी लागू होते हैं: –
- भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा;
- भारत में पंजीकृत किसी पोत या विमान, चाहे वह कहीं भी हो, पर किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए अपराध पर भी लागू है।
- भारत से बाहर और परे किसी स्थान में कोई व्यक्ति भारत में स्थित किसी कम्प्यूटर साधन को लक्ष्य करते हुए अपराध कारित करता है।
स्पष्टीकरण (IPC Section 4 explanation)
(क) `अपराध, शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता;
(ख) “कम्प्यूटर साधन” पद का वही अर्थ होगा जो उसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21 ) की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ट) में समनुदिष्ट है।
Conclusion
तो दोस्तों ये थी जानकारी आईपीसी की धारा 4 के बारे में आई होप कि ये कॉन्सेप्ट आपको क्लियर हुआ होगा। अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा है तो आप इसे और लोगो के साथ भी शेयर जरूर करिए।
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