Difference Between IPC and CrPC in Hindi | आईपीसी और सीआरपीसी के बीच क्या अंतर है

Difference Between IPC and CrPC in Hindi: India में बारह सौ से ज़्यादा laws है और अगर दो हज़ार अट्ठारह के national crime report bureau की माने तो India में पचास लाख से ज़्यादा criminal cases file किए गए थे. ऐसे में India में कौन कौन से laws हैं? उनका क्या procedure है? यह जानना बहुत ज़रूरी है, यह समझना बहुत ज़रूरी है. HeY everybody, मैं हूं पंकज और आप सभी का स्वागत है ipc-section.com पर. आज के इस आर्टिकल में हम India के दो सब important और सबसे ज़रूरी LAWS, IPC और CRPC, मतलब Indian penal code और criminal procedure court के बारे में जानेंगे. तो चलिए इस लेख को शुरू करते हैं.

तो IPC मतलब Indian penal code और CRPC मतलब criminal procedure code. यह दोनों ही India के criminal justice system का बहुत important part है. अब हम ये एक simple सा classification समझेंगे जिससे कि आपको ये पूरा लेख बहुत अच्छे से समझ में आ जाएगा. तो india के जितने भी laws हैं उन्हें हम दो parts में classify कर सकते हैं. एक है आपका substantintive laws और दूसरे हो गए आपके procedural laws. तो जितने भी laws हैं इनको आप इन दो categories में डाल सकते हैं.

आज के इस लेख में हम ipc and crpc difference in hindi, ipc or crpc me antar in hindi, ipc and crpc in hindi, ipc crpc cpc full form आदि के बारे में जानेंगे

Difference Between IPC and CrPC in Hindi
Difference Between IPC and CrPC in Hindi

Procedural Law और Substantive Law क्या है और इनमे क्या अंतर होता है ?

Substantive Law

Procedural Law और Substantive Law को हम एक बहुत simple example समझेंगे मान लें कि आपने किसी college में admission लिया अब आप जैसे ही admission लेते हैं आपको दो booklets मिलते हैं. दो manuals मिलते हैं. जो पहला manual है यह बताता है कि आप उस college के student कब consider किए जाएंगे आपको कितनी percent attendance की requirement रहेगी अगर आप ragging करते हुए पकड़े जाते हैं तो आपको क्या punishment मिलेगी? Ragging की definition क्या होगी? ये सारी चीज़ें दी गई है पहले manual में.

अब बात करते हैं दूसरे manual की. तो इसमें क्या बात करेंगे? कि अगर आपने attendance fulfill नहीं की तो आपको exam देने दिया जाएगा या नहीं दिया जाएगा उसका procedure क्या होगा? अगर आप ragging करते हुए पकड़े जाते हैं तो फिर cocktarail कैसे बैठाया जाएगा? Investigation कैसे होगा? Evidence कैसे collect किया जाएगा? आपको suspend किया जाएगा, retain किया जाएगा या fine लगाई जाएगी. पूरा procedure कैसे होगा? यह second booklet पर दिया गया है.

तो ये जो दो booklet है बिल्कुल यही है ये दो classification. तो जो substantive laws होते हैं ये offenses को define करते हैं क्या ingredients होंगे, क्या essential होंगे, ये सारी चीज़ें, definition वाला part दिया जाता है substantive laws में plus हर offence के लिए क्या punishment prescribe की जा रही है? यह भी दिया जाता है substantive laws में.

Procedural Law

अब आते है procedure law की तरफ. तो जैसा कि इसका नाम है procedure define करना. तो यह जो substantive law है इनको implement कैसे किया जाएगा? यह बात करते हैं procedure law. तो implementation और substantive laws. कैसे implement करेंगे? क्या प्रक्रिया होगी? बाकी machinery क्या follow की जाएगी? यह होते हैं procedure laws.

Difference between Substantive Law & Procedural Law in Hindi

Substantintive Laws – मौलिक विधिProcedural Laws – प्रक्रिया विधि
-Defines
Offence
Implementation
Substantive laws
-Prescribe
Punishment
Other Machinerery

Substantive law और Procedural law को दोबारा से से 2 भागों में बांटा गया है

  1. Civil law – दीवानी कानून
  2. Criminal law – फौजदारी कानून

दोस्तों आशा करता हूँ कि आप अभी तक Procedural Law और Substantive Law क्या है और इनमे क्या अंतर होता है इसको सही तरह से समझ चुके होंगे आइये अब जानते हैं कि आईपीसी और सीआरपीसी क्या होती है (What is IPC and CrPC?)

What Is Indian Penal Code – आईपीसी क्या होती है

IPC अर्थात Indian Penal Code जिसे हिंदी में भारतीय दंड सहिंता भी कहा जाता है। ये भारतीय कानून की अपराध के बिरुद्ध सबसे मजबूत कड़ी है जिसके तहत बलात्कार , हत्या , चोरी डकैती , मारपीट जैसे संगीन अपराध आते हैं इनकी फौज़दारी अदालत केअंतर्गत सुनवाई होती हैं। इनमें कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है। भारतीय दण्ड सहिंता को उर्दू में ताजी-रात-ए-हिन्द भी कहा जाता है। भारतीय दण्ड सहिंता में कुल 511 धाराएं हैं।

भारतीय दंड सहिंता के तहत ही पुलिस किसी अपराधी को गिरफ्तार करती है। इसी सहिंता के अनुसार दोषी को उसके अपराध की सजा सुनाई जाती है। भारतीय दण्ड सहिंता (Indian Penal Code) 1860 में बनाई गयी थी।

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What is CrPc hindi – CRPC क्या होती है

CRPC यानि criminal procedure code इसमें बचाव पक्ष के लिए प्रावधान किये गए हैं। यानि अगर पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है तो वह Indian Penal Code के तहत कोई भी धारा उसपर लगा देती है जो उसके अपराध से सबंधित है। इसी तरह जब ये मामला अदालत में जाता है तो अदालत उस केस को CRPC के तहत देखती है।

मतलब इसमें किसी भी दोषी को अपनी तरफ से बचाव पक्ष रखने का अवसर मिलता है उसको अपने आप को निर्दोष साबित करने का भी अवसर मिलता है वहीं पुलिस भी अदालत में अपनी बहस करती है। पुलिस कोर्ट में उस दोषी के अपराध सबंधित सबूत अदालत में पेश करती है जो ये सब पुलिस व अदालत के बीच का प्रोसीजर चलता है ये काफी लम्बा भी चल सकता है इसे सीआरपीसी (criminal procedure code) के तहत देखा जाता है।

Difference Between IPC and CRPC in Hindi | IPC or CrPC Me Antar in Hindi

IPC full form in Hindi and English – IPC का full form अंग्रेजी में Indian Penal Code और हिंदी में इसे भारतीय दंड संहिता कहते हैं |

CrPC full form in Hindi and English – CrPC का full form अंग्रेजी में Criminal Procedure Code और हिंदी में इसे दंड प्रक्रिया संहिता कहते हैं ।

अब समझते हैं IPC और CRPC के beach में difference को. तो IPC हुआ आपका substantive law. क्यों? क्योंकि उसमें आपको हर offense की definition मिलेगी उनके essential ingredients मिलेंगे और हर offence के लिए punishment मिलेगी. तो जब भी कोई offence commit होता है तो police IPC का use करती है charge sheet बनाने के लिए.

कौन सा offence हुआ है ये define करने के लिए पर उसके बाद का जो पूरा काम होता है वो होता है CRPC के अंदर मतलब उस इंसान को arrest कब करना है? वो bail के लिए कब apply कर सकता है? Evidence कैसे collect करना है? Investigation कैसे करना है? Trial के time पर procedure क्या होगा? ये सारी चीज़ें बात करता है CRPC. तो ये थे इसका basic difference.

IPC (Indian Penal Code)

अब इन दोनों act को एक एक करके अच्छे से समझते हैं. सबसे पहले देखते हैं IPC को. तो 1834 में India की first law commission appoint की गई थी. जिसके chairman थे Lord Thomas Baban Pin Mukholley और चार और members इस commission के तीन main task थे. सबसे पहले India के जितने भी अलग अलग e mail laws हैं उन्हें codify करना, देखिए तब के time पर कोई uniform law exist नहीं करता था. जैसे IPC एक uniform law है.

जो भी इंसान India में रह रहा है उन सब पर IPC applicable होगा. पर तब के time पर ऐसा नहीं था. हर एक area का अपना खुद का अलग अलग law था. तो हर territory के अपनी laws अलग थे. उनके offenses अलग थे. जिस कारण बहुत confusion हो रहा था. इसलिए इस commission का पहला task था कि India के जितने भी अलग अलग penal laws हैं उन्हें codify करना. दूसरा काम था कि वो लोग जो ना हिंदू थे ना मुस्लिम थे उन पर लगने वाले laws को define करना क्योंकि तब हिन्दूs के अपने personal laws के और muslims के अपने personal law थे.

बाकी लोगों पर क्या law applicable होगा यह define करना और तीसरा civil और criminal procedure loss को codify करना. तो 1837 में ही इस commission ने एक draft penal code prepare किया जिसे 1860 में implement किया गया. India का जो penal code है, वह पूरा mainly Lord Macaulay ने ही draft किया है. इसलिए इसे coccoli court भी कहते हैं और सोचिए 1860 में एक ऐसा law बनाना वह सारे provision सोचना जो अभी तक चल रहे हैं. यह कितनी interesting बात है.

CRPC (Criminal Procedure Code)

Next है CRPC. तो यह India का main legislation है जो India के criminal laws का implementation कैसे होगा? उसका procedure बताता है. जैसे, crime का investigation कैसे होगा, evidence collection, punishment कैसे decide होगी etcetera? पहले के time पर East India Company के अपने खुद के coach नहीं थे.

हर ruler का अपना खुद का justice system था, हर province का अपना court था. पर 1857 के revolt के बाद British Brown ने India का administration company के हाथों से हटाकर अपने हाथ में ले लिया और British parliament ने पूरे India के लिए एक uniform criminal procedure establish करने के लिए 1861 में criminal procedure को pass किया.

इसके बाद independent India की first law commission set up की गई थी 1955 में. जिसके chairman थी MC सेतलवाल. इस commission ने CRPC को अच्छे से study किया और 1969 की अपनी report भी बहुत सारे recommendations और suggestions दिए. इन suggestions को criminal procedure को 1973 में incorporate किया गया. जो fourth में आया, first April 1974 को. इस draft को prepare करते वक्त तीन basic principles को ध्यान में रखा गया था.

सबसे पहला यह कि हर accused person को एक fair trial opportunity मिलनी चाहिए natural justice के principles के हिसाब से. दूसरा investigation और trial के stages में unnecessary delay avoid होना चाहिए और तीसरा यह जो पूरा procedure है यह बिल्कुल भी complicated नहीं होना चाहिए. Community के हर section को यह procedure अच्छे से समझ में आना चाहिए.

आईपीसी और सीआरपीसी के बीच अंतरDifference between IPC and CrPC
IPC (Indian Penal Code)CRPC (Criminal Procedure Code)
यह आपराधिक अपराधों और उनकी सजाओं से संबंधित होता हैयह IPC में निर्धारित आपराधिक कानूनों को लागू करने की प्रक्रियाओं से संबंधित है
यह परिभाषित करता है कि किन कार्यों को अपराध माना जाता है और उन अपराधों के लिए क्या दंड निर्धारित हैंयह अपराधियों की जांच, मुकदमा चलाने और उनको दंडित करने की प्रक्रिया की रूपरेखा है
इसमें विभिन्न धाराएँ शामिल होती हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट प्रकार के अपराध से संबंधित होती हैइसमें विभिन्न धाराएँ शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक आपराधिक न्याय प्रक्रिया के एक विशिष्ट पहलू से संबंधित है, जैसे गिरफ्तारी, जमानत और अपील
एक सारगर्भित कानून (substantive law) हैएक प्रक्रियात्मक कानून (procedural law) है
यह एक केंद्रीय कानून (central law) हैयह एक केंद्रीय कानून (central law) है

चलिए quick grab up कर लेते हैं. तो IPC आपका substantitive law है. वहीं CRPC आपका procedural law है. IPC 1860 में intact किया गया था और यह force में आया first January 1862 को. वहीं CRPC 1973 में ही act किया गया और यह force पाया एक April 1974 में. IPC में आपको total 511 sections मिलेंगे. जो 23 chapters में cover किए गए हैं.

वहीं CRPC में आपको total 484 से sections में cover किए गए हैं. इसके साथ ही इसमें आपको दो schedule और 56 forms भी मिलेंगे. तो basically IPC क्या करता है? ये offences को define करता है और उनके लिए punishment prescribe करता है वहीं CRPC क्या करता है? IPC को implement करने में help करता है. इसकी procedure बताता है, इसकी प्रक्रिया बताता है. इसके साथ ही Investigation कैसे होगा? Interrogation, evidence collection, arrest trial bill. इन सबका procedure क्या होगा? क्या mechanism होगा? यह सब कुछ CRPC में बताया गया है.

Conclusion

तो मैं उम्मीद करता हूं कि आज के इस लेख में जो topic (ipc and crpc in hindi, ipc crpc cpc full form, ipc and crpc difference in hindi, ipc or crpc me antar in hindi) है, यह आपको clear हुआ होगा. इसके साथ ही ऐसे और कौन कौन से topics हैं जो आप चाहते हैं कि मैं इस अगले पोस्ट में cover करूँ. यह please मुझे comment box में ज़रूर बताइएगा. अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे please like करिएगा और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ बी शेयर करिएगा. That’s it for now. See you in the next POST bye bye.

FAQ: Difference Between IPC and CrPC in Hindi

आईपीसी (IPC) और सीआरपीसी (CrPC) में कितनी धाराएं हैं?

IPC (भारतीय दण्ड संहिता) और CrPC (सीआरपीसी) दोनों ही महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज हैं।

भारतीय दण्ड संहिता (IPC): IPC में कुल 511 धाराएं हैं। यह अपराधों को परिभाषित करती है और उनके लिए दिन जाने वाली सजा निर्धारित करती है।

सीआरपीसी (CrPC): इसमें कुल मिलाकर 484 धाराएं हैं। यह अदालती प्रक्रिया को संचालित करने और विभिन्न अदालतों की संरचना और उनके कार्य को निर्धारित करती है।

IPC का नया नाम क्या है?

केंद्र सरकार ने भारत की IPC में परिवर्तन करते हुए 313 बदलाव संसद में पटल पर रखे, गृह मंत्री श्री अमित शाह ने ये तीन बिल शुक्रवार को संसद में पेश किए. इसके तहत IPC को (भारतीय न्याय संहिता )कहा जाएगा, वहीं CrPC को (भारतीय नागरिक संहिता) के नाम से जाना जाएगा.

आईपीसी के जनक कौन है?

आईपीसी के जनक थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत 1834 में स्थापित भारत के पहले विधि आयोग की सिफारिशों पर तैयार किया गया था। यह 1862 में ब्रिटिश शासन के दौरान सारे भारत में लागू हुआ था।

IPC भारत में कब लागू हुई?

IPC ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई थी। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे । पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया था।

आईपीसी क्यों बनाया गया?

आईपीसी 1860 के तहत Civil law और Criminal Law आते हैं. IPC अपराध की परिभाषा करती है और सजा के प्रावधान की जानकारी भी देती है. इसका उद्देश्य पूरे भारत में एक तरह का penal code लागू करना है ताकि देश के अलग-अलग क्षेत्रीय तथा स्थानीय कानूनों की जगह पूरे देश में सिर्फ एक ही कानून हो

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