IPC Section 498A in Hindi: Hello friends, आपका बहुत बहुत स्वागत है ipc-section.com के इस नए लेख में दोस्तों अगर कोई लड़की दहेज़ प्रताड़ना के कारण depression में चली जाती है तो उसे आईपीसी की किस धारा के तहत FIR को दर्ज कराना चाहिए जानेंगे आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि आईपीसी धारा 498A क्या है?, Section 498A IPC in Hindi, Section 498A of IPC in Hindi, धारा 498A भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 498A, IPC Section 498A Explained in Hindi, धारा 498A का विवरण और अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो आप इसे शेयर ज़रूर करिएगा
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IPC Section 498A in Hindi | धारा 498A भारतीय दण्ड संहिता
दोस्तों महिलाओं पर हो रहे अत्याचार कभी कम नहीं होते आज का यह पोस्ट विवाहित महिलाओं के बारे में है जो महिलाएं अपने ससुराल में पति या फिर पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता या डर का शिकार हो रही है वो किस धारा के अंतर्गत अपनी शिकायत को दर्ज करवा सकती हैं तो भारतीय धन संहिता 1860 की धारा 498A यह कहती है की किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के ऊपर अगर कुछ अत्याचार किए जाते हैं
जो की इस तरह से हैं जानबूझकर महिला को आत्महत्या करने के लिए उकसाना, महिला को पति, देवर, सास ससुर, ननद या किसी भी ससुराल पक्ष के द्वारा मानसिक पीड़ा या शारीरिक क्षति पहुंचाना, शादी के सात वर्ष पूरे होने से पहले दहेज़ की बार बार मांग करना, एवं महिला को प्रताड़ित करना
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113ए के अनुसार अगर किसी महिला की मृत्यु शादी के सात साल से पहले ससुराल में होती है तो court इस मृत्यु का संज्ञान ले सकता है
पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा महिला को डराना, धमकाना, डर उत्पन्न करना, जबरदस्ती परेशान करना, जला कर मारने कि कोशिश करना या मार देना आदि IPC Section 498A के अंतर्गत अपराध मने गए हैं, इसके लिए अगर हम दंड के प्रोविजन की बात करें तो यह अपराध संघीय और अजमानतीय अपराध है यह एक असम्य यानी की समझौता योग्य नहीं होता
इसकी सुनवाई first great मजिस्ट्रेट यानी की session judge द्वारा की जाती है इस तरह के अपराध में अपराधी को 3 साल का करवास और जुर्माने से दंडित किया जाता है
फॉर एग्जांपल विजय रतन वर्सेस उत्तर प्रदेश राज्य में पति और उसके नातेदारो ने पत्नी के साथ क्रूरता पूर्वक व्यवहार किया और उसको पीड़ा देकर मायके भेज दिया इस क्रूरता और प्रताड़ना के कारण वह महिला मानसिक रूप से गंभीर रूप से बीमार हो गई और उसने मायके के स्थानीय न्यायालय में पति के खिलाफ एक case दायर किया जहां पर मजिस्ट्रेट ने आरोपी को धारा 498A के अधीन दोषी ठहराया
धारा 498A का विवरण – What is IPC Section 498A
Husband or relative of husband of a woman subjecting her to cruelty
Whoever, being the husband or the relative of the husband of a woman, subjects such woman to cruelty shall be punished with imprisonment for a term which may extend to three years and shall also be liable to fine.
Offence
- (1) Punishment for subjecting a married woman to Cruelty
Punishment:3 Years + Fine
- (2) If information of offence is given to SHO by aggrieved or her relative by blood, marriage or adoption, or by notified public servant
Punishment:3 Years + Fine
क्या तलाक के बाद धारा 498A IPC के तहत FIR दर्ज कराया जा सकता हैं
क्या डाइवोर्स के बाद IPC के section 498 A के तहत एक महिला अपने फॉर्मल husband के खिलाफ FIR को दर्ज करवा है या फिर नहीं और case का title है रमेश by दंची by सोलंकी versus state of गुजरात case और इस case की सुनवाई justice JC दोषी की बेंच कर रही थी.
दोस्तों हाल ही में गुजरात high court ने अपना अहम् फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि एक महिला तलाक के बाद Indian Penal Code section 498A के तहत क्रुएल्टी का आरोप लगाकर complaint को दर्ज कर सकती है लेकिन शर्त यही होगी कि शिकायत सिर्फ उन बातों के लिए और उन घटनाओं के लिए ही हो सकती है जो तलाक से पहले यानी कि married life में हुई होंगी.
Justice जितेंद्र दोषी ने कहा कि आईपीसी के section 498a जो पति और उसके relatives को define करती है. यह section बताता है की complaint करने के लिए वह व्यक्ति पति होना चाहिए या फिर पति के रिश्तेदार का दर्जा उसे प्राप्त होना चाहिए इस section में फॉर्मल स्पाउस या फिर उसका रिलेटिव शामिल नहीं होते यानी की डायवोर्स के बाद वह व्यक्ति पति नहीं रह जाता लेकिन इस प्रोविजन में यह भी कहा गया है की एक महिला section 498ए के तहत मामले को दर्ज करवा सकती है
जिसका मतलब यह हुआ की मामला दर्ज करवाते समय उसे महिला का पत्नी होना ज़रूरी नहीं है इसी के आधार पर court ने माना की section 498A की complaint एक तलाकशुदा पत्नी भी कर सकती है लेकिन यह घटनाएं मैरिड इन life से जुड़ी हुई होनी चाहिए यह मामला दोनों के डायवोर्स के लगभग 20 महीने बाद का है
court ने इस मामले को रद्द करते हुए कहा की शादी के 20 महीने बाद एक महिला ने अपने फॉर्मल husband के खिलाफ आईपीसी के section 498 का मामला दर्ज करवाया और ground से उसके husband की second मैरिज और उसे पर एडल्ट्री के आरोप लगाए गए थे court ने यह भी देखा की महिला ने शादी के दौरान क्रुएल्टी या फिर उत्पीड़न जैसी बातों का ज़िक्र नहीं किया था
आरोप भी बहुत नॉर्मल nature के थे और ऐसा लग रहा था की complaint सिर्फ तलाक देने की वजह से ही पति पर लगाए गए थे यह मामला सिर्फ यह दिखाता था की वह महिला सिर्फ उसे व्यक्ति से बदला लेना चाहती थी court ने इस मामले को रद्द करते हुए कहा की एक बार डायवोर्स की degree हो जाने के बाद दोनों husband wife नहीं रह जाते और साथ ही यह भी कहा की इस तरह के मामलों में अगर complaint दर्ज भी होती है तो केवल उन बातों के लिए होने चाहिए जो की शादी के दौरान हुए हो
Conclusion
दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको आईपीसी धारा 498A क्या है?, Section 498A IPC in Hindi, Section 498A of IPC in Hindi, धारा 498A भारतीय दण्ड संहिता, What is IPC Section 498A, IPC Section 498A Explained in Hindi, धारा 498A का विवरण, IPC Section 498A in Hindi अच्छे से समझ आ गया होगा यदि जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरुर करें
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