IPC SECTION 299 AND 300 DIFFERENCE in Hindi: Hello friends आपका बहुत बहुत स्वागत ipc-section.com के इस नए पोस्ट में आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे आईपीसी की धारा 299 और 300 के अंतर के बारे में धारा 299 अपराधिक मानव वध के लिए और धारा 300 हत्या के लिए लगाई जाती है तो इसके बारे में detail में जानेंगे तो आइये बिना देरी के जानते हैं हत्या और आपराधिक मानव वध के बीच अंतर, IPC धारा 299 धारा 300 में अंतर, आईपीसी की धारा 299 और 300 में क्या अन्तर है, IPC SECTION 299 AND 300 DIFFERENCE in hindi, Dhara 299 or 300 me kya Anter Hai
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IPC SECTION 299 KYA HAI
तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं आईपीसी की धारा 299 के डेफिनेशन के बारे में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 299 अपराधिक मानव वध की बात करती है अगर कोई व्यक्ति मृत्यु कारित करने के इंटेंशन से ऐसी कोई शारीरिक क्षति पहुंचाने की इंटेंशन से किसी व्यक्ति को मार देता है या फिर यह जानते हुए की उसके ऐसा करने से किसी व्यक्ति की मृत्यु होना तय है तो इस तरह की की गई मृत्यु अपराधिक मानव वध की category में आती है
इसे एक एग्जांपल की सहायता से समझते हैं मान लीजिए (क) एक गड्ढा खोदता है और उसके ऊपर लकड़ियां और घास फूस बिछा देता है यह जानते हुए की अगर कोई इस गड्ढे में गिरेगा तो उसकी मृत्यु होना संभावित है तभी (य) वहां से आता है और उस गड्ढे में गिर जाता है और गिरने से उसकी मृत्यु हो जाती है यहां पर (क) ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है
IPC SECTION 300 KYA HAI
अब बात करते हैं आईपीसी की धारा 300 के बारे में जो की हत्या की बात करती है भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 300 के अनुसार अगर कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो अपराधिक मानववध हत्या होती है अगर वह कम जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई हो
उदाहरण के लिए (य) को मार डालने की इंटेंशन से (क) उसके ऊपर गोली चलाता है इसके परिणाम स्वरूप जिसके बाद (य) मर जाता है यहां पर (क) ने हत्या का अपराध किया है are वर्सेस गोविंद के case में मेलबिन judge ने धारा 299 और धारा 300 के अंतर को स्पष्ट किया था
इस case में अभियुक्त ने धक्का देकर अपनी पत्नी को ज़मीन पर गिरा दिया था जिसके बाद उसके सिने पर घुटना रखकर उसने बहुत सारे घूंसों से वार किया जिसके कारण महिला के दिमाग की नसें फ़ट गई और खून का बहाव होने लगा जिससे वो महिला वहीं पर मर गई इस case में अभियुक्त का आशय अपनी पत्नी की ना तो मृत्यु करना था और ना ही उसके द्वारा पहुंचाई गई शारीरिक क्षति इतनी पर्याप्त थी प्रकृति के सामान्य अनुक्रम से उसकी मृत्यु हो सकती थी
अभियुक्त को हत्या की कोटि में ना आने वाले अपराधिक मानव वध के लिए दंडित किया गया चलिए बात करते हैं इनके difference के बारे में
IPC SECTION 299 AND 300 DIFFERENCE in Hindi | आईपीसी की धारा 299 और 300 में क्या अन्तर है
कुछ उपवादित दशाओं को छोड़कर अपराधिक मानव वध हत्या होती है धारा 300 की शुरुआत इन्हीं शब्दों के साथ होती है इसका अर्थ यह है की अपराधिक मानव वध धारा 300 के अंतर्गत बताई गई किसी भी एक अपवाद की सीमा के अंतर्गत आता है तो वह हत्या नहीं होगा
जब कभी किसी अपराधी का इंटेंशन मृत्यु कारित करना होता है तो वह हमेशा ही हत्या का मामला होगा जब तक की अपराध धारा 300 में वर्णित किसी भी अपवाद के अंतर्गत ना आता हो धारा 299 के खंड (ब) और धारा 300 के खंड दो के बीच अंतर अपराधी के इस ज्ञान पर आधारित है की जिस व्यक्ति को नुकसान पहुंचा जा रहा है उसकी मृत्यु होना संभावित है
अपराधी अगर यह जानता है की क्षतिग्रस्त व्यक्ति की किसी भी तरह से मृत्यु होने की संभावना है जिससे की साधारण मृत्यु कारित नहीं होती अगर अपराधी को यह पता है की सामने वाला व्यक्ति बीमार है और वह हल्की सी चोट से भी मारा जाएगा
जबकि नॉर्मल व्यक्ति उसे चोट से नहीं मारा जा सकता और वह व्यक्ति उस पर प्रहार करता है जिसकी वजह से वह बीमार व्यक्ति मर जाए तो यहां पर हत्या का आरोप लगाया जाएगा ऐसे मामलों में अप्रधिकता की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है की क्या अभियुक्त को इन तथ्यों के बारे में जानकारी थी
धारा 299 का खंड (ख) के अंतर्गत ऐसा ज्ञान अपेक्षित नहीं है इसी तरह से धारा 299 खंड (ख) और धारा 300 का खंड तीन की तुलना करने पर यह पुरी तरह से स्पष्ट हो जाता है की किया गया अपराध अपराधिक मानव वध होगा अगर शारीरिक चोटें ऐसी हैं जिससे की मृत्यु होने की संभावना है यह तब हत्या होगी जब शारीरिक चोट पहुंचने से प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त है
गोपाल नियोगी वर्सेस state of west बंगाल के case के मामले में अभियुक्त पर अपनी पत्नी और बेटी की हत्या का आरोप था पति के विवाहित संबंधों को लेकर पति पत्नी में अक्सर झगड़ा हुआ करता था घटना के एक दिन पहले पति और पत्नी को साथ देखा गया था दूसरे ही दिन पत्नी और बेटी के मृत शरीर पाए गए
अभियुक्त ने घटना के दिन अपनी चाची के यहां जाना कहा लेकिन चाची ने इस तथ्य को नकार दिया अभियुक्त ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर हत्या का दोषी ठहराया गया तो कंक्लुजन के रूप में हम यह कह सकते हैं की जहां मार डालने का आशय होता है अपराधी हत्या के लिए उत्तरदाई होता है पर यह हमेशा हर किसी मामले में नहीं होता, अपराधिक मानववध और हत्या के beach केवल मृत्यु कारित होने की संभावना की मात्रा पर निर्भर करता है
जहां पर यह पता चलता हो की इस काम से किसी की मृत्यु होने की संभावना थी तो ऐसा काम अपराधिक मानव वध होगा काम उस समय हत्या होगा जब निश्चित रूप से पता हो की ऐसा काम करने से किसी की मृत्यु हो ही जाएगी
Conclusion
तो दोस्तों उम्मीद करते हैं की आईपीसी की धारा 299 और 300 के beach का अंतर आपको समझ आया होगा अगर यह पोस्ट IPC धारा 299 धारा 300 में अंतर, आईपीसी की धारा 299 और 300 में क्या अन्तर है, IPC SECTION 299 AND 300 DIFFERENCE in hindi, Dhara 299 or 300 me kya Anter Hai, हत्या और आपराधिक मानव वध के बीच अंतर आपको अच्छा लगा है तो आप इसे शेयर ज़रूर करिए अगर आपको इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल पूछना हो तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं आखिर तक जुड़े रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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